जब सर्द हवाएं
सांय-सांय बियाबान पार कर जाती हैं
जब रात का स्याह घेर लेता है मुझको
तब याद आती हो तुम
खामोशी और भी गहरी होती जाती
दूरियां भी शायद बढ़ती ही जातीं
और धुंधलता जाता अतीत
तब याद आती हो तुम
जब बसंत की रुत आती है
चारों ओर जीवंतता छाती है
और खिलते हैं रंग-बिरंगे फूल
तब याद आती हो तुम
यह सारा बसंत, यह सारी जीवंतता
यह रंग बिरंगे फूल
सब तुम्हारे लिए हैं
और तुम्हारी याद दिलाते हैं।
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